शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी (Sherawali Ki Nazar Jispe Padne Lagi)

शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,

जिसपे पड़ने लगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


माँ के पावन नवराते आ गए,

घर घर में जगराते होने लगे,

जिस घर अंगना माँ की पावन,

ज्योति जगी, हाँ ये ज्योति जगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


आजा बनके सवाली माँ के द्वार पे,

तेरा जीवन संवर जाए माँ के नाम से,

जो भी दर आया गया नहीं,

खाली कभी, खाली कभी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


ज्वाला माँ तेरे सब दुःख हरेगी,

चिंतपूर्णी माँ तेरी सारी चिंता हरे,

सच्चे मन से कर ले जो,

मैया की भक्ति, माँ की भक्ति,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


अष्टमी का देखो वो दिन आ गया,

कंजको का बुलावा लगने लगा,

हलवा पूरी का भोग लगाओ,

करो आरती, करो आरती,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,

जिसपे पड़ने लगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


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कैसे शुरू हुई होलिका दहन की प्रथा

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