शिव मात पिता,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
जिनका तो ना आदि,
ना अंत पता,
भक्तो पे दया,
जो करते सदा,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
वृषगामी जो,
बाघाम्बर है धरे,
अनादि अनंत से,
जो है परे,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
अमृत को नहीं,
विष पान किया,
अभयदान है,
भक्त जनों को दिया,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
गौरा नंदन,
श्री गणेश कहे,
जलधारा जिनके,
शीश बहे,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
शिव मात पिता,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
श्री राम का जन्म चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि के दिन अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे के बाद हुआ था। इस दिन विधिपूर्वक भगवान राम की पूजा की जाती है। इसलिए, रामनवमी का दिन भगवान राम की पूजा के लिए समर्पित होता है।
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। बहनें इस पर्व का सालभर बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन वे अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं।