शिव मात पिता,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
जिनका तो ना आदि,
ना अंत पता,
भक्तो पे दया,
जो करते सदा,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
वृषगामी जो,
बाघाम्बर है धरे,
अनादि अनंत से,
जो है परे,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
अमृत को नहीं,
विष पान किया,
अभयदान है,
भक्त जनों को दिया,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
गौरा नंदन,
श्री गणेश कहे,
जलधारा जिनके,
शीश बहे,
शिव मात पितां,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
शिव मात पिता,
शिव बंधू सखा,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम,
शिव चरणों में,
कोटि कोटि प्रणाम ॥
कुंभ भारतीय वैदिक-पौराणिक मान्यता का महापर्व है। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान से होने वाली है और यह 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
सनातन धर्म में कुंभ मेले का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कुंभ निकला था, उसके अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गई थीं।
13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। महाकुंभ न केवल भारत में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों में भी इसका आकर्षण देखने को मिलता है। इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है।
महाकुंभ में शाही स्नान के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। महाकुंभ में स्नान करने से मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। शाही स्नान में सबसे पहले साधु-संत स्नान करते हैं उसके बाद ही आम तीर्थयात्री गंगा में डुबकी लगाते हैं।