शिव पार्वती ने तुम्हे,
वरदान दे दिया,
श्री गणेश ये कलयुग,
तुम्हारे नाम कर दिया ॥
ब्रम्हा ने वेद,
सरस्वती ज्ञान दे रही,
विष्णु के संग लक्ष्मी,
धन धान दे रही,
प्रथमेश तुम बनो,
ये अभयदान दे दिया,
श्री गणेश ये कलयुग,
तुम्हारे नाम कर दिया ॥
कैलाश पे तुम्हारी,
जय जयकार कर रहे,
हे गजानंद तुमको,
नमस्कार कर रहे,
सबने तुम्हारे चरणों में,
प्रणाम कर लिया,
श्री गणेश ये कलयुग,
तुम्हारे नाम कर दिया ॥
तुम अष्टविनायक,
तुम्ही बुद्धि के प्रदाता,
सब सुख प्रदान करते,
रिद्धि सिद्धि के दाता,
भक्तो की झोलियों में,
धन धान भर दिया,
श्री गणेश ये कलयुग,
तुम्हारे नाम कर दिया ॥
कलयुग में भव से पार,
चाहो भक्तो जो जाना,
गौरी गजाननन को सदा,
मन से ही ध्याना,
भक्तो के मन में तुमने,
अपना स्थान कर दिया,
श्री गणेश ये कलयुग,
तुम्हारे नाम कर दिया ॥
शिव पार्वती ने तुम्हे,
वरदान दे दिया,
श्री गणेश ये कलयुग,
तुम्हारे नाम कर दिया ॥
मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे ॥
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारू में गिरधर तेरी आरती ॥
मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,
मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ।