शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
सर पे बसी है गंगा,
माथे पे चन्द्रमा है,
नंदी की है सवारी,
अर्धांगिनी उमा है,
गले सर्प की है माला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
अमृत की कामना से,
सब मथ रहे शिवसागर,
निकला है उससे विष जो,
सब पि गए हलाहल,
उस ज़हर को पिने वाला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
आशा हुई निराशा,
जाए तो किसके द्वारे,
तुझे छोड़ हे महेश्वर,
अब किसको हम पुकारे,
सूना है मन शिवाला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
आज 4 अगस्त यानी रविवार को हरियाली अमावस्या है, ये तिथि भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास की एक विशेष तिथि है जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि साल के इस समय धरती हरियाली की चादर से ढक जाती है इसलिए श्रावण अमावस्या को हरियाली का त्यौहार कहा जाता है।
हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।
शिव और पार्वती की प्रेम कहानी एक अनोखी और प्यारी कहानी है, जो हमें रिश्तों के मायने सिखाती है। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते को कैसे बनाए रखा जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व शिव और पार्वती के प्रेम की याद दिलाता है।
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