श्याम के बिना तुम आधी,
तुम्हारे बिना श्याम आधे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे,
आठो पहर जो रहे अंग संग,
उस सांवरे की एक झलक,
दिखला दे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
मैं तो संवारे के रंग मे राजी,
बाँध घुँघरू भी पग मे नाची,
कैसो निष्ठुर भयो यशोदा का लाला,
बात मेरे ह्रदय की ना मानी,
अपनो के संग यूँ करते नहीं,
सांवरे को नेक* समझा दे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
छवि श्याम की बसाई लई चित मे,
खड़ी बाट निहारू नित्-नित् मैं,
श्याम के बिना मुझे कुछ नहीं सुझे,
श्याम के बिना जाऊ कित मैं,
कैसे बुझे प्यास नैनो की,
रास्ता कोई तो दिखला दे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
कही केशव कही पे कन्हैया,
कही नटवर रास रचैया,
मेरी भी नैय्या अटकी भँवर मे,
पार कर देना बनके खिवैया,
विनती मेरी भी इत्ती** सी,
बंसी बजैया तक पहुँचा दे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
श्याम के बिना तुम आधी,
तुम्हारे बिना श्याम आधे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
आठो पहर जो रहे अंग संग,
उस सांवरे की एक झलक,
दिखला दे,
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
राधे राधे राधे राधे,
राधे राधे राधे राधे ॥
महर्षि जमदग्नि की गणना सप्तऋषियों में की जाती है। जमदग्नि ऋषि भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे।
गौतम का उल्लेख ऋग्वेद में अनेक बार हुआ है, किन्तु किसी ऋचा के रचयिता के रूप में गौतम को कभी नहीं देखा गया।
म्मू- कश्मीर स्थित अमरनाथ की बर्फीली पहाड़ियों के बीच विश्व प्रसिद्ध बर्फीले शिवलिंग के अलावा अमरनाथ धाम, महामाया शक्तिपीठ भी भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती को इसी स्थान पर अमरत्व का पाठ पढ़ाया था।
माँ फुलारा शक्तिपीठ या अट्टहास शक्तिपीठ सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है, जहां मां सती का "निचला होंठ" गिरा था।