श्याम तेरा कीर्तन जो,
मन से कराता है,
श्याम तेरा किर्तन जो,
मन से कराता है,
सुनने को सांवरिया,
खुद लीले चढ़ आता है,
श्याम तेरा किर्तन जो,
मन से कराता है ॥
ऐसे नहीं कहते है,
हारे का सहारा लोग,
हर एक मुसीबत से,
मेरा श्याम ही बचाता है,
श्याम तेरा किर्तन जो,
मन से कराता है ॥
कैसे मैं गिनाऊँ तुम्हे,
एहसान कितने है,
अपने दीवानों को,
वो तो गले से लगाता है,
श्याम तेरा किर्तन जो,
मन से कराता है ॥
श्याम तेरा कीर्तन जो,
मन से कराता है,
श्याम तेरा किर्तन जो,
मन से कराता है,
सुनने को सांवरिया,
खुद लीले चढ़ आता है,
श्याम तेरा किर्तन जो,
मन से कराता है ॥
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।
महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु भी होते हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान किया जा चुका है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
सत्यनारायण व्रत एक पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर देता है।