श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,
गर धूल जो मिल जाए ।
सच कहता हूँ मेरी
तकदीर बदल जाए ॥
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की
सुनता हूँ तेरी रहमत,
दिन रात बरसती है ।
एक बूँद जो मिल जाए,
दिल की कली खिल जाए ॥
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की
यह मन बड़ा चंचल है,
कैसे तेरा भजन करूँ ।
जितना इसे समझाऊं,
उतना ही मचल जाए ॥
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की
नजरों से गिराना ना,
चाहे जितनी सजा देना ।
नजरों से जो गिर जाए,
मुश्किल ही संभल पाए ॥
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की
श्यामा इस जीवन की
बस एक तमन्ना है ।
तुम सामने हो मेरे और
प्राण निकल जाए ॥
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,
गर धूल जो मिल जाए ।
सच कहता हूँ मेरी
तकदीर बदल जाए ॥
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं। इस कारण इस दिन भूल से भी किसी तरह के अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में मंगलदेव को युद्ध का देवता कहा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को ऊर्जा और साहस मिलती है। वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल उच्च स्थिति मे होते हैं, तो उन्हें मांगलिक कहा जाता है।
सनातन धर्म में माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना गया है। इसलिए, हर साल मार्गशीर्ष माह में अन्नपूर्णा जयंती मनायी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती धरती पर मां अन्नपूर्णा के रूप में अवतरित हुई थीं।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली त्रिपुर भैरवी जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है, जो माता काली के शक्तिशाली स्वरूप त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।