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सुबह सुबह हे भोले (Subha Subha Hey Bhole)

सुबह सुबह हे भोले (Subha Subha Hey Bhole)

सुबह सुबह हे भोले करते हैं तेरी पूजा,

तेरे सिवा हुआ है ना होगा कोई दूजा ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।


भोले तेरी जटा से बहती है गंगा धारा,

सारे जगत के मालिक, तू है पिता हमारा ।

निर्बल का तू ही बल है, देता है तू सहारा

तेरे सिवा जहां में, कोई नहीं हमारा ॥

हे भोले तू है जैसा, वैसा न कोई होगा,

तेरे सिवा हुआ है, ना होगा कोई दूजा ।


सुबह सुबह हे भोले करते हैं तेरी पूजा,

तेरे सिवा हुआ है ना होगा कोई दूजा ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।


सुख चैन मांगते हैं, जन्मो के हम भिखारी,

हमपे दया तू करना, आए शरण तिहारी ।

तेरे द्वार पे पड़े हैं, सुनले अरज हमारी,

झोली हमारी भरदे, शिव-शंकर-भंडारी ॥

भव सागर से पार करे, जो कोई नहीं है दूजा,

तेरे सिवा हुआ है, ना होगा कोई दूजा ।


सुबह सुबह हे भोले करते हैं तेरी पूजा,

तेरे सिवा हुआ है ना होगा कोई दूजा ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।


तुमको निहारते हैं, आँखों में है निराशा,

विश्वास है ये हमको पूरी करोगे आशा ।

बिगड़ी बना दो अपनी, दृष्टि दया की डालो,

भटके हुए हैं प्राणी, शिव जी हमे संभालो ॥

जब ते रहेंगे हर पल तुझको करते रहेंगे पूजा,

तेरे सिवा हुआ है, ना होगा कोई दूजा ।


सुबह सुबह हे भोले करते हैं तेरी पूजा,

तेरे सिवा हुआ है ना होगा कोई दूजा ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ।

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परशुराम द्वादशी तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम को समर्पित हैI

परशुराम द्वादशी की कथा

परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम की पूजा को समर्पित है। परशुराम द्वादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

संतान प्राप्ति के लिए करें परशुराम द्वादशी व्रत

परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।

मई माह में कब पड़ेगा पहला शुक्र प्रदोष व्रत

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

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