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सुन मेरी मात मेरी बात (Sun Meri Maat Meri Baat)

सुन मेरी मात मेरी बात (Sun Meri Maat Meri Baat)

सुन मेरी मात मेरी बात,

छानी कोणी तेरे से,

आँखड़ली चुराके मैया,

जासी कठे मेरे से ॥


झुँझन वाली मैया तेरी,

शरण में आ गयो,

दादी थारो रूप म्हारे,

नैणां में समां गयो,

मत बिसरावे मैया,

हार मानी तेरे से,

आँखड़ली चुराके मैया,

जासी कठे मेरे से ॥


बालक हूँ मैं दादी थारो,

मुझसे निभाय ले,

दुखड़े को मारयो हूँ,

मन्ने कालजे लगायले,

पथ दिखलादे मैया,

काढ़ ले अँधेरे से,

आँखड़ली चुराके मैया,

जासी कठे मेरे से ॥


सिर पर सोहे चुनड़ी,

कानो में कुण्डल भारी है,

हाथां मेहंदी लाल थारी,

सिंह की सवारी है,

खाली हाथ बोल कईया,

जाऊ तेरे डेरे से,

आँखड़ली चुराके मैया,

जासी कठे मेरे से ॥


सुन मेरी मात मेरी बात,

छानी कोणी तेरे से,

आँखड़ली चुराके मैया,

जासी कठे मेरे से ॥


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पापमोचनी एकादशी कब है?

पापमोचनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह एकादशी फाल्गुन और चैत्र मास के संधिकाल में आती है और इसे साल की अंतिम एकादशी भी माना जाता है।

रंग पंचमी पर किसकी पूजा करें

रंग पंचमी भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह पर्व होली के ठीक पाँच दिन बाद आता है और इस दिन विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है।

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और शास्त्रों के अनुसार, इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला बताया गया है।

रंग पंचमी पर देवताओं को कौन सा रंग चढ़ाएं

रंग पंचमी 2025 इस वर्ष 21 मार्च को मनाई जाएगी। यह पर्व होली के पांचवें दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को आता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी का दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है और इस दिन वे भी गीले रंगों से होली खेलते हैं।

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