सुनले ओ मेरी मैया,
मुझे तेरा ही सहारा,
तेरा ही सहारा मुझे,
तेरा ही सहारा ॥
दूर दूर तक ओ मेरी मैया,
सूझे नहीं किनारा,
एक बार आ जाओ मैया,
मैंने तुम्हे पुकारा,
तुम बिन कौन हमारा,
माँ तुम बिन कौन हमारा,
तेरा ही सहारा मुझे,
तेरा ही सहारा ॥
नैया हमारी ओ मेरी मैया,
अब है तेरे भरोसे,
खेते खेते हार गया हूँ,
डरता हूँ लहरों से,
घिर गए काले बादल,
और छाया है अँधियारा,
तेरा ही सहारा मुझे,
तेरा ही सहारा ॥
अंधियारी रातों में मैया,
बिजली कढ़ कढ़ कढ़के,
डूब ना जाए नैया मेरी,
दिल मेरा ये धडके,
‘श्याम’ को भी तारो,
लाखों को तुमने तारा,
तेरा ही सहारा मुझे,
तेरा ही सहारा ॥
सुनले ओ मेरी मैया,
मुझे तेरा ही सहारा,
तेरा ही सहारा मुझे,
तेरा ही सहारा ॥
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो इस साल 22 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।
सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।
चित्ररथ को एक महान गंधर्व और देवताओं के प्रिय संगीतज्ञ के रूप में माना जाता है। वह स्वर्गलोक में देवताओं के महल में निवास करते थे। उनका संगीत और गायन दिव्य था। ऐसा कहा जाता है कि कहा जाता है कि चित्ररथ के संगीत और गान में इतनी शक्ति थी कि वे अपने गाने से भगवान शिव और अन्य देवताओं को प्रसन्न कर सकते थे।
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