सुन लो चतुर सुजान, निगुरे नहीं रहना - भजन (Sunlo Chatur Sujan Nigure Nahi Rehna)

निगुरे नहीं रहना

सुन लो चतुर सुजान निगुरे नहीं रहना...


निगुरे का नहीं कहीं ठिकाना चौरासी में आना जाना।

पड़े नरक की खान निगुरे नहीं रहना..


गुरु बिन माला क्या सटकावे मनवा चहुँ दिश फिरता जावे।

यम का बने मेहमान निगुरे नहीं रहना..

सुन लो..


हीरा जैसी सुंदर काया हरि भजन बिन जनम गँवाया।

कैसे हो कल्याण निगुरे नहीं रहना..

सुन लो..


निगुरा होता हिय का अंधा खूब करे संसार का धंधा।

क्यों करता अभिमान निगुरे नहीं रहना.

सुन लो..


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वो है जग से बेमिसाल सखी

कोई कमी नही है, दर मैय्या के जाके देख।
देगी तुझे दर्शन मैय्या, तू सर को झुका के देख।

नवग्रह शांति की पूजा विधि

ज्योतिषशास्त्र मानता है कि हमारे जीवन में जो भी उतार-चढ़ाव आते हैं, उसके पीछे ग्रहों की स्थिति और दशा जिम्मेदार होती है। जन्म के समय जातक की तिथि, स्थान और समय के अनुसार कुंडली बनती हैI

कब है सोमवती अमावस्या

अमावस्या तिथि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

धनु संक्रांति के दिन के विशेष उपाय

हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि का काफी महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने सूर्य की राशि परिवर्तन पर संक्रांति मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह में 15 दिसंबर को धनु संक्रांति पड़ रही है।

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