तेरा दर मिल गया मुझको,
सहारा हो तो ऐसा हो ॥
दोहा
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना,
तुझे मिल गया पुजारी,
मुझे मिल गया ठिकाना।
मुझे कौन जानता था,
तेरी बंदगी से पहले,
तेरी याद ने बना दी,
मेरी ज़िन्दगी फसाना ॥
तेरा दर मिल गया मुझको,
सहारा हो तो ऐसा हो,
तेरे टुकड़ो पर पलता हूँ,
गुजारा हो तो ऐसा हो ॥
किसी को ज़माने की दौलत मिली है,
किसकी को जहान की हुकूमत मिली है,
मैं अपने मुकद्दर पर कुर्बान जाऊं,
मुझे अपने कान्हा की चोखट मिली है,
मुझे अपने कान्हा की चोखट मिली है,
क्यों कहीं जाए किस्मत आजमाने के लिए,
मेरे कान्हा है तेरी बिगड़ी बनाने के लिए,
तेरा दर मिल गया मुझकों,
सहारा हो तो ऐसा हो,
तेरे टुकड़ो पर पलता हूँ,
गुजारा हो तो ऐसा हो ॥
जमाने में नही देखा,
कोई सरकार के जैसा,
हमें ये नाज है रहबर,
हमारा हो ऐसा हो,
तेरा दर मिल गया मुझकों,
सहारा हो तो ऐसा हो,
तेरे टुकड़ो पर पलता हूँ,
गुजारा हो तो ऐसा हो ॥
मरुँ मैं तेरी चोखट पर,
मेरे कान्हा मेरे दिलबर,
रहे तू रूबरू मेरे,
नजारा हो तो ऐसा हो,
तेरा दर मिल गया मुझकों,
सहारा हो तो ऐसा हो,
तेरे टुकड़ो पर पलता हूँ,
गुजारा हो तो ऐसा हो ॥
मेरी सांसो में बहती है,
तेरे ही नाम की खुशबु,
महक जाए हर एक मंजर,
जिकर भी तुम्हारा हो,
तेरा दर मिल गया मुझकों,
सहारा हो तो ऐसा हो,
तेरे टुकड़ो पर पलता हूँ,
गुजारा हो तो ऐसा हो ॥
तेरा दर मिल गया मुझकों,
सहारा हो तो ऐसा हो,
तेरे टुकड़ो पर पलता हूँ,
गुजारा हो तो ऐसा हो ॥
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पुण्य और पावन पर्व है, जिसे ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन देवी गंगा के स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है।
गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
गंगा दशहरा, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और पुण्यदायक पर्व है। इस दिन का महत्व केवल मां गंगा के धरती पर अवतरण के कारण ही नहीं है, बल्कि यह दिन पितरों के मोक्ष और आत्मिक शांति के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।
गंगा दशहरा, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो इस बार 5 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव मनाया जाता है।