आन पधारो गणपत जी पूरण करदो सब काज,
विच सभा के बैठया मोरी पत रखदो महाराज,
गणपति बप्पा मोरिया मंगल मूर्ती मोरिया ॥
रिद्धि सिद्धि के मालक तुम हो,
सबके भाग्य विधाता तुम हो,
पहले होवे पूजा हमेश जी,
तेरी जय हो जय जय गणेश जी ॥
जो बांझन है संतान वो पाए,
तेरी दया से लाल खिलाये,
सबकी पूरी करते हमेश जी
अर्ज़ी पूरी करते हमेश जी,
तेरी जय हो जय जय गणेश जी ॥
चार भुजा मूषक की सवारी,
चरणी लगती है दुनिया सारी,
जग में सबसे प्रथम गणेश जी,
तेरी जय हो जय जय गणेश जी ॥
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का स्वरूप हैं। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। इसलिए उन्हें तपस्या की देवी माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के दूसरे रूप की पूजा करने से भक्तों को धैर्य, शांति और समृद्धि मिलती है।
आज 05 अप्रैल 2025 चैत्र माह का बीसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि अष्टमी है। इसे दुर्गाष्टमी कहा जाता है, इस दिन मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र की संरचना बनी है इसीलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप शौर्य और सौम्यता का प्रतीक है।