तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥


एक जनम क्या कई जन्मों तक,

तेरी सेवा पाऊं,

सुन्दर सुन्दर इन हाथों से,

तेरे द्वार सजाऊँ,

मेरी लगती रहें दर हाजरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


अपनी आँखों के पलकों से,

तेरा अंगना बुहारूं,

तन मन के फूलों से,

अम्बे मंदिर तेरा सवारुं,

बस मैं ये चाहूँ तेरी चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ ॥


तेरी करती रहूं मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

वरदान यही मैं चाहूँ,

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,

वरदान यही मैं चाहूँ,

माँ शेरावाली वर देना,

माँ ज्योता वाली वर देना ॥

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बिगड़ी बनाने आजा, एक बार मेरी मैया (Bigdi Banane Aaja Ek Baar Meri Maiya)

फूलों से सजाया है,
दरबार मेरी मैया,

नित नयो लागे साँवरो (Nit Nayo Lage Sanvaro)

नित नयो लागे साँवरो,
इकि लेवा नज़र उतार,

सजा है प्यारा दरबार बाबा का (Saja Hai Pyara Darbar Baba Ka)

सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
भक्तों ने मिलकर के किया है,

गुड़ी पड़वा 2025 कब है

सनातन धर्म में गुड़ी पड़वा त्योहार का विशेष महत्व है। इस त्योहार को चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और इस तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होता है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।

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