था बिन दीनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,
कुण पकड़सी जी सांवरा,
कुण पकड़सी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,
म्हारी पीड़ हरो घनश्याम आज,
थाने आया सरसी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी ॥
था बिन म्हारे सिर पर बाबा,
कुंण तो हाथ फिरावे है,
सगळा मुंडो फेर के बैठ्या,
कुंण तो साथ निभावे है,
मजधारा सु बेडो कईया,
मजधारा सु बेडो कईया,
पार उतरसी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी ॥
म्हारी हालत सेठ सांवरा,
थासु कोन्या छानी रे,
एक बार थे पलक उघाड़ो,
देखो म्हारे कानि रे,
थारे देख्या बिगड़ी म्हारी,
थारे देख्या बिगड़ी म्हारी,
श्याम सुधरसी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी ॥
आंख्या सामी घोर अंधेरो,
कुछ ना सूझे आगे श्याम,
ईब के होसी सोच सोच के,
म्हाने तो डर लागे श्याम,
‘हर्ष’ म्हारे आगे को रस्तो,
‘हर्ष’ म्हारे आगे को रस्तो,
श्याम ही करसी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी ॥
था बिन दीनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,
कुण पकड़सी जी सांवरा,
कुण पकड़सी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,
म्हारी पीड़ हरो घनश्याम आज,
थाने आया सरसी जी,
था बिन दिनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी ॥
पापमोचनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।
रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।
रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।