तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।
लौटा जो दिया तूने,
चले जायेंगे जहां से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
घायल मन का पागल पंछी,
उड़ने को बेकरार ।
पंख हैं कोमल, आँख है धुंदली,
जाना है सागर पार ।
अब तू ही इसे समझा,
राह भूले थे कहाँ से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
इधर झूम के गाए जिन्दगी,
उधर है मौत खड़ी ।
कोई क्या जाने कहाँ है सीमा,
उलझन आन पड़ी ।
कानों में ज़रा कह दे,
कि आएं कौन दिशा से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।
लौटा जो दिया तूने,
चले जायेंगे जहां से हम ।
तू प्यार का सागर है..॥
हिंदू धर्म में बुधदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। वे ज्योतिषशास्त्र में एक ग्रह के रूप में जाने जाते हैं और बुद्धि, संवाद, वाणी, गणना, व्यापार, शिक्षा और तर्क का प्रतीक माने जाते हैं।
भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।
गंगा नदी की तरह ही मां नर्मदा को भी बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। भारत में छोटी-बड़ी 200 से अधिक नदियां हैं, जिसमें पांच बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है। इतना ही नहीं, मान्यता है कि नर्मदा के स्पर्श से ही पाप मिट जाते हैं। इसलिए, प्रतिवर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।
प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाने का विधान है। इस दिन मां नर्मदा की विशेष रूप से यह जयंती मनाई जाती है।