॥ दोहा ॥
सबदा मारा मर गया,
सबदा छोडियो राज ।
जिन जिन सबद विचारिया,
वा रा सरिया काज ।
॥ तू शब्दों का दास रे जोगी ॥
तू शबदों का दास रे जोगी,
तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।
तू शब्दों का दास रे जोगी ।
राम नहीं तू बन पायेगा,
क्यूं लेता वनवास रे जोगी ॥
तू शबदों का दास रे जोगी,
तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।
तू शब्दों का दास रे जोगी ।
ये सांसों का बन्दी जीवन,
इसको आया रास रे जोगी ॥
तू शबदों का दास रे जोगी,
तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।
तू शब्दों का दास रे जोगी ।
देखना इतना ऊपर जाओ,
ऊँचा है आकाश रे जोगी ।
तू शबदों का दास रे जोगी,
तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।
तू शब्दों का दास रे जोगी ।
एक दिन विष का प्याला पीजा,
फिर ना लगेगी प्यास रे जोगी ।
तू शबदों का दास रे जोगी,
तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।
तू शब्दों का दास रे जोगी ।
भर आई थी मन कीआँखें,
बह रही हर एक आस रे जोगी ॥
तू शबदों का दास रे जोगी,
तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।
तू शब्दों का दास रे जोगी ।
होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा
और झूम रही दुनिया सारी,
हे त्रिपुरारी गंगाधरी
सृष्टि के आधार,
होली खेल रहे नंदलाल
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ।
हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है,