तुम बिन मोरी कौन खबर ले,
गोवर्धन गिरधारी,
तुम बिन मोरी कौन खबर ले,
गोवर्धन गिरधारी ।
भरी सबा में द्रोपदी खाड़ी,
राखो लाज हमारी ।
तुम बिन मोरी कौन खबर ले,
गोवर्धन गिरधारी ॥
मोर मुकट पीताम्भर सोहे,
कुण्डल की छवि न्यारी ।
तुम बिन मोरी कौन खबर ले,
गोवर्धन गिरधारी ॥
मीरा के प्रभु श्याम सूंदर है,
चरण कमल बलिहारी ।
तुम बिन मोरी कौन खबर ले,
गोवर्धन गिरधारी ॥
होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
बरसाना और नंदगांव की होली विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यह होली श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ी हुई है। बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।
होली फेस्टिवल होलिका दहन के एक दिन बाद मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष अर्थ है। बता दें कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और कई लोग होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जानते है।
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, होलिका दहन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है। होलिका दहन के विधिवत आराधना करने से नकारात्मकता भी घर से बाहर चल जाता है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद बना रहता है।