तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे,
आहों मे असर होगा,
घर बैठे बुला लेंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम कहते हो मोहन,
हमें मधुबन प्यारा है,
इक बार तो आ जाओ,
मधुबन ही बना देंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम कहते हो मोहन,
हमें राधा प्यारी है,
इक बार तो आ जाओ,
राधा से मिला देंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम कहते हो मोहन,
हमें माखन प्यारा है,
इक बार तो आ जाओ,
माखन ही खिला देंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम कहते हो मोहन,
हमें कहाँ बिठाओगे,
इस दिल में तो आ जाओ,
पलकों पे बिठा लेंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम हमको ना चाहो,
इसकी हमें परवाह नही,
हम वादे के पक्के है,
तुम्हे अपना बना लेंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे,
आहों मे असर होगा,
घर बैठे बुला लेंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
लगी आग जो सीने में,
तेरी प्रेम जुदाई की,
हम प्रेम की धारा से,
लगी दिल की बुझा लेंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे,
आहों मे असर होगा,
घर बैठे बुला लेंगे,
तुम रूठे रहों मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे ॥
हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2024 के नवंबर माह में ये तिथि 22 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जो तंत्र-मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।
कालाष्टमी पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। जब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव समय के भी स्वामी हैं।
धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,