तुम्ही मेरी नइया,
किनारा तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी का,
सहारा तुम्ही हो,
तुम्ही मेरी नईया,
किनारा तुम्ही हो ॥
ये नर तन का चोला,
बनाया है तुमने,
सभी अंग ढ़ंग से,
सजाया है तुमने,
तुम्ही मेरी नजरें प्रभुजी,
नजारा तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी का,
सहारा तुम्ही हो,
तुम्ही मेरी नईया,
किनारा तुम्ही हो ॥
तुम्ही सूर्य बनकर,
चमकते हो प्यारे,
तुम्ही बिजली बनकर,
कड़कते हो प्यारे,
तुम्ही चाँद तारे प्रभुजी,
सितारा तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी का,
सहारा तुम्ही हो,
तुम्ही मेरी नईया,
किनारा तुम्ही हो ॥
तुम्ही बनके बादल,
बरसते हो प्यारे,
तुम्ही फूल बनकर,
महकते हो प्यारे,
नदी सिंधु सागर की,
धारा तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी का,
सहारा तुम्ही हो,
तुम्ही मेरी नईया,
किनारा तुम्ही हो ॥
कृपा कोप करुणा,
सभी काम तेरे,
सभी रूप तेरे,
सभी नाम तेरे,
‘देवेंद्र राजेंद्र कैलाश’,
शरण आए तेरे,
यति भिक्षु सद्गुरु,
हमारा तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी का,
सहारा तुम्ही हो,
तुम्ही मेरी नईया,
किनारा तुम्ही हो ॥
तुम्ही मेरी नइया,
किनारा तुम्ही हो,
मेरी जिंदगी का,
सहारा तुम्ही हो,
तुम्ही मेरी नईया,
किनारा तुम्ही हो ॥
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता,
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।
सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥
मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।
पान सुपारी, ध्वजा, नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट करे॥
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि।