ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है,
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
मैया का बसेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
अपनी सारी जिंदगी,
हमने तेरे नाम कर दी,
खुशियां या गम देना,
अम्बे माँ तेरी मर्जी,
तू जो चाहे होवे शाम,
चाहे तो सवेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
सूरत नैनो में बसा,
अखियां में बंद कर लूँ,
देवी मैया तुझसे,
बातें मैं चंद कर लूँ,
देखूं तुझे जी भर के,
यही ख्वाब मेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
रोते रोते जो आते,
मुस्कान ले जाते है,
खोया जो जीवन में,
सुख सारे पाते है,
कटे तेरी कृपा से माँ,
दुखो का ये घेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है,
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
मैया का बसेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।
गंगा नदी की तरह ही मां नर्मदा को भी बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। भारत में छोटी-बड़ी 200 से अधिक नदियां हैं, जिसमें पांच बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है। इतना ही नहीं, मान्यता है कि नर्मदा के स्पर्श से ही पाप मिट जाते हैं। इसलिए, प्रतिवर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।
प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाने का विधान है। इस दिन मां नर्मदा की विशेष रूप से यह जयंती मनाई जाती है।
नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।