ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है,
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
मैया का बसेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
अपनी सारी जिंदगी,
हमने तेरे नाम कर दी,
खुशियां या गम देना,
अम्बे माँ तेरी मर्जी,
तू जो चाहे होवे शाम,
चाहे तो सवेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
सूरत नैनो में बसा,
अखियां में बंद कर लूँ,
देवी मैया तुझसे,
बातें मैं चंद कर लूँ,
देखूं तुझे जी भर के,
यही ख्वाब मेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
रोते रोते जो आते,
मुस्कान ले जाते है,
खोया जो जीवन में,
सुख सारे पाते है,
कटे तेरी कृपा से माँ,
दुखो का ये घेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है,
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
मैया का बसेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
संकट काटे पलभर में ये,
भक्तों सारे जहान का,
झण्डा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने का एक अत्यंत शुभ अवसर है।