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उनकी रेहमत का झूमर सजा है (Unki Rehmat Ka Jhoomar Saja Hai)

उनकी रेहमत का झूमर सजा है  (Unki Rehmat Ka Jhoomar Saja Hai)

उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।

मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥


मेरी झोली भी सरकार भर दो,

अपने सब की झोली भरी है,

अपनी महफिल से भेजो न खाली,

अपने सबकी झोली भरी है ॥


उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।

मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥


मुझको महसूस यह हो रहा है,

तेरी महफिल में करुणा भरी है,

अपनी महफिल में करुना भरसा दो,

कमलीवाले की महफिल सजी है ॥


उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।

मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥


तुमे अपना समजने मैं आया,

मांगने को तो दुनिया पड़ी है,

मुझे अपना समज के दया कर,

तेरी महफिल में करुना भरी है ॥


उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।

मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥


तेरे दर से ना कोई खाली,

अपने सब की झोली भरी है,

मेरी झोली भी सरकार भर दो

अपने सब की झोली भरी है ॥


उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।

मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥


श्याम राधे राधे, घनश्याम राधे राधे ।

श्याम राधे राधे, घनश्याम राधे राधे ।

श्याम राधे राधे, घनश्याम राधे राधे ।

कुंज मे विराजे, घनश्याम राधे राधे ।

कुंज मे विराजे, घनश्याम राधे राधे ।

कुंज मे विराजे, घनश्याम राधे राधे ।

श्री वृंदावन, राधे राधे ।

श्री वृंदावन, राधे राधे ।

श्री वृंदावन, राधे राधे ।

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महिलाएं भी होती हैं नागा साधु, जानें उनके नियम

प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहला शाही स्नान हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में अखाड़ों के साधु संतों ने आस्था की डुबकी लगाई। 13 अखाड़ों ने अपने क्रम के अनुसार स्नान किया।

महामंडलेश्वर कैसे बनते हैं

अध्यात्म का मार्ग आसान नहीं होता। यह एक ऐसा पथ है, जहाँ साधना, तपस्या और त्याग के कठिन इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। जब बात साधु-संतों की हो, तो यह मार्ग और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसी कठिन राह पर चलते हुए एक पद ऐसा है, जिसे सर्वोच्च सम्मान और गौरव प्राप्त है...महामंडलेश्वर।

महाकुंभ के स्नान को क्यों कहा जाता है शाही

पौष पूर्णिमा के स्नान के बाद प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हुआ। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 44 घाटों पर पहले दिन 1 करोड़ 65 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। बड़ी संख्या में देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु हिंदू धर्म के समागम में पहुंचे।

महिला नागा साधु कैसे बनती हैं?

प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। 13 जनवरी को पहले दिन बड़ी संख्या में साधु संतों और श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा का स्नान किया। वहीं आज पहले शाही स्नान के मौके पर भी बड़ी संख्या में साधु संत स्नान करने पहुंचे। क्रम के मुताबिक साधु संतों ने स्नान किया। हालांकि इस दौरान लोगों के मुख्य आकर्षण का केंद्र नागा साधु रहे।

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