महाकुंभ का मेला हर बार अपार श्रद्धा और धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। विशेष पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति के साथ, यह स्नान जीवन को नई दिशा और शांति प्रदान करता है।
अब वह समय नजदीक है, जब प्रयागराज के संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते संतों के संग सैकड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते दिखाई देंगे। यह दृश्य लगभग 13 जनवरी से देखने को मिलेगा, जब महाकुंभ मेला शुरू होगा।
महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े समागमों में से एक है। 13 फरवरी से प्रयागराज में इसकी शुरुआत होने जा रही है। ये 45 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी को शिवरात्रि के मौके पर खत्म होगा।
अखाड़ों को महाकुंभ की शान माना जाता है। इनके बिना कुंभ अधूरा है। आम तौर पर अखाड़ों में पुरुष और महिला संत होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नरों का एक अपना अखाड़ा है। जी हां 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना हुई थी।