वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥
हम तुम्हारे पराये नही है,
गैर के दर पे आये नहीं है,
हम तुम्हारे पुराने पुजारी,
हम तुम्हारे पुराने पुजारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी,
वृन्दावन के ओ बांके बिहारी ॥
हरिदास के राज दुलारे,
नन्द यशोदा की आँखों के तारे,
राधा जू के सांवरे गिरधारी,
राधा जू के सांवरे गिरधारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी,
वृन्दावन के ओ बांके बिहारी ॥
बंद कमरों में रुक ना सकोगे,
लाख पर्दो में छुप ना सकोगे,
तुमको हर ओर हम है व्यापारी,
तुमको हर ओर हम है व्यापारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी,
वृन्दावन के ओ बांके बिहारी ॥
वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥
आ जाओ भोले बाबा मेरे मकान मे,
तेरा डम डम डमरू बोले सारे जहान में ॥
ओ बाबा तेरे भक्त बुलाये,
आ जाओ गजानन प्यारे,
आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
करवा चौथ की सबसे प्रसिद्ध कहानी के अनुसार देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहा करती थीं। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और उन्हें जल में खिंचने लगा