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Vrindavan Me Hukum Chale Barsane Wali Ka (वृन्दावन में हुकुम चले, बरसाने वाली का)

Vrindavan Me Hukum Chale Barsane Wali Ka (वृन्दावन में हुकुम चले, बरसाने वाली का)

वृन्दावन में हुकुम चले,

बरसाने वाली का,

कान्हा भी दिवाना है,

श्री राधे रानी का ॥


वहां डाली डाली पर,

वहां पत्ते पत्ते पर,

राज राधे का चलता,

गांव के हर रस्ते पर,

चारो तरफ़ डंका बजता,

वृषभानु दुलारी का,

कान्हा भी दिवाना है,

श्री राधे रानी का ॥


कोई नन्दलाल कहता,

कोई गोपाल कहता,

कोई कहता कन्हैया,

कोई बन्शी का बजैया,

नाम बदलकर रख डाला,

उस कृष्ण मुरारी का,

कान्हा भी दिवाना है,

श्री राधे रानी का ॥


सबको कहते देखा,

बड़ी सरकार है राधे,

लगेगा पार भव से,

कहो एक बार राधे,

बड़ा गजब का रुतबा है,

उसकी सरकारी का,

कान्हा भी दिवाना है,

श्री राधे रानी का ॥


तमाशा एक देखा,

जरा ‘बनवारी’ सुनले,

राधा से मिलने खातिर,

कन्हैया भेष है बदले,

कभी तो चूड़ी वाले का,

और कभी पुजारी का,

कान्हा भी दिवाना है,

श्री राधे रानी का ॥


​वृन्दावन में हुकुम चले,

बरसाने वाली का,

कान्हा भी दिवाना है,

श्री राधे रानी का ॥

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हाथ जोड़कर ही क्यों करते हैं प्रार्थना?

ईश्वर से जुड़ने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के अपने खास तरीके हैं। हिंदू धर्म में, प्रार्थना करते समय आंखें बंद कर लेना और हाथ जोड़कर खड़े होते हैं। हाथ जोड़ना सिर्फ एक नमस्कार नहीं है, बल्कि यह विनम्रता, सम्मान और आभार का प्रतीक है।

सिर पर कपड़ा बांधकर पूजा क्यों की जाती है?

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सारी दुनिया में बांस ऐसी लकड़ी है जिसे जलाने से लोग दूर भागते हैं। हिंदू धर्म में इसे हमेशा से अशुभ माना गया है। न तो रसोई में और न ही पूजा-पाठ में बांस का इस्तेमाल होता है।

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