सरलता, शीलता, शुचिता हों भूषण मेरे जीवन के।
सचाई, सादगी, श्रद्धा को मन साँचे में ढाला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
मेरा वेदोक्त हो जीवन, बनूँ मैं धर्म-अनुरागी।
रहूँ आज्ञा में वेदों की, न हुक्मेवेद टाला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
तेरी भक्ति में हे भगवन्, लगा दूँ अपना मैं तन-मन।
दिखावे के लिये हाथों में थैली हो, न माला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
तजूँ सब खोटे कर्मों को, तजूँ दुर्वासनाओं को।
तेरे विज्ञान दीपक का मेरे मन में उजाला हो॥
॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥
पिला दे मोक्ष की घुट्टी, मरण-जीवन से हो छुट्टी।
विनय अन्तिम ये सेवक की अगर मंजूरे वाला हो॥
यही है प्रार्थना प्रभुवर! जीवन ये निराला हो।
परोपकारी, सदाचारी व लम्बी आयुवालो हो॥
मां दुर्गा का रूप शक्ति और वीरता का प्रतीक है। वे राक्षसों और असुरों से संसार को बचाने वाली देवी हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल मिलता है।
हिंदू धर्म में बुधदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। वे ज्योतिषशास्त्र में एक ग्रह के रूप में जाने जाते हैं और बुद्धि, संवाद, वाणी, गणना, व्यापार, शिक्षा और तर्क का प्रतीक माने जाते हैं।
भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।
गंगा नदी की तरह ही मां नर्मदा को भी बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। भारत में छोटी-बड़ी 200 से अधिक नदियां हैं, जिसमें पांच बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है। इतना ही नहीं, मान्यता है कि नर्मदा के स्पर्श से ही पाप मिट जाते हैं। इसलिए, प्रतिवर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।