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यशोदा माँ के होयो लाल, बधाई सारे भक्ता ने (Yasoda Ma Ke Hoyo Laal Badhai Saare Bhagta Ne)

यशोदा माँ के होयो लाल, बधाई सारे भक्ता ने  (Yasoda Ma Ke Hoyo Laal Badhai Saare Bhagta Ne)

यशोदा माँ के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने,

बधाई सारे भक्ता ने,

बाज्यो रे बाज्यो देखो थाल,

बधाई सारे भक्ता ने,

यशोदा मां के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने ॥


आज यो अँगणो धन्य हुयो है,

कृष्ण लला को जन्म हुयो है,

नाचो रे नाचो नौ नौ ताल,

बधाई सारे भक्ता ने,

यशोदा मां के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने ॥


खुशखबरी या सबने सुणावा,

झूमा रे नाचा मैं तो मौज मनावा,

गोपालो लियो अवतार,

बधाई सारे भक्ता ने,

यशोदा मां के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने ॥


महला में अंगणो अंगणा में पलणों,

पलणे में झूल रह्यो यशोदा को ललनो,

नजरा उतारा बारम्बार,

बधाई सारे भक्ता ने,

यशोदा मां के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने ॥


चालो जी चालो यशोदा माता के चाला,

बालक निरखस्या लुनराई वारा,

आवो सजावा पूजन थाल,

बधाई सारे भक्ता ने,

यशोदा मां के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने ॥


यशोदा माँ के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने,

बधाई सारे भक्ता ने,

बाज्यो रे बाज्यो देखो थाल,

बधाई सारे भक्ता ने,

यशोदा मां के होयो लाल,

बधाई सारे भक्ता ने ॥

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वैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

वैकुंठ चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इसे कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। यह कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले आता है और देव दिवाली से भी संबंधित है।

वैकुंठ चतुर्दशी पर पितृ तर्पण

हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।

विश्वेश्वर व्रत कथा

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

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कानो में कुण्डल चमके,

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