पटना का गौरी शंकर मंदिर: 400 साल पुराना शिवधाम, जहां आज भी धंसी है अंग्रेजों की चलाई गोली
पटना के गायघाट स्थित गौरी शंकर मंदिर का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रहस्यमय भी है। करीब 400 साल पुराने इस मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है और इसके बारे में कहा जाता है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू है, अर्थात यह शिवलिंग स्वयं धरती से प्रकट हुआ था। इस मंदिर की कहानियां केवल आध्यात्मिकता ही नहीं बल्कि अनोखी घटनाओं से भी भरी पड़ी हैं, जो इसे भक्तों के लिए एक विशेष स्थल बनाती हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्यमयी इतिहास, चमत्कारिक घटनाएं, और यहां के अनोखे पूजा पद्धति के बारे में।
गौरी शंकर मंदिर का अद्भुत इतिहास और मान्यताएं
मंदिर के व्यवस्थापक शंभू नाथ बताते हैं कि पटना के गायघाट के पास स्थित गौरी शंकर मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यह केवल एक साधारण मंदिर नहीं, बल्कि अलौकिक शक्तियों वाला एक अनोखा मंदिर है। यहां का शिवलिंग किसी मनुष्य द्वारा स्थापित नहीं किया गया, बल्कि स्वयं धरती से प्रकट हुआ था। यहां के प्रधान पुजारी जितेंद्र शास्त्री के अनुसार, अंग्रेजों ने इस प्रतिमा को ध्वस्त करने का प्रयास किया था। इसके लिए शिवलिंग पर तीन गोलियां दागी गईं। दो गोलियां शिवलिंग को चीरते हुए निकल गईं, लेकिन एक गोली आज भी शिवलिंग के मस्तक में धंसी हुई है। यह भी कहा जाता है कि मुगल शासनकाल में भी शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया था, लेकिन वे भी असफल रहे।
अंग्रेजों के हमले से हुआ चमत्कारिक घटना
अंग्रेजों ने जब शिवलिंग को ध्वस्त करने के लिए गोलियां चलाईं, तो तुरंत ही कुछ अप्रत्याशित हुआ। जैसे ही गोलियां शिवलिंग से टकराईं, हजारों की संख्या में भंवरे शिवलिंग से निकलने लगे। इन भंवरों ने अंग्रेज सैनिकों को इतना डराया कि वे अपनी जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए। इस घटना के बाद से यह मंदिर और भी प्रसिद्ध हो गया और इसे एक चमत्कारिक स्थल के रूप में देखा जाने लगा।
शिव भक्ति का अनोखा तरीका
इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा का तरीका भी अद्वितीय है। यहां के भक्त नंदी महाराज की प्रतिमा के कान में अपनी इच्छाएं प्रकट करते हैं। यह मान्यता है कि जो भी भक्त अपनी मनोकामना नंदी महाराज के कान में कहता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। मंदिर के प्रांगण में सालों भर विशेष रूप से सोमवार के दिन विशाल मेला लगता है, जहां दूर-दराज से भक्त शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इसके अलावा, मंदिर में एक अनोखी परंपरा भी है, जिसके अनुसार एक गाय गंगा नदी में स्नान करने के बाद शिवलिंग का दुग्धाभिषेक करती थी। यह परंपरा आज भी श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था का प्रतीक बनी हुई है।
अन्य विशेषताएं और धार्मिक महत्व
शंभू नाथ बताते हैं कि मंदिर में शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां होने वाले धार्मिक अनुष्ठान और भंडारे में भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। व्यवस्थापक शंभूनाथ के अनुसार, यहां एक संत ने अपनी समाधि ली थी, जो शिवलिंग के पास ही स्थापित है। मंदिर का यह इतिहास और इसके साथ जुड़ी चमत्कारिक घटनाएं इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक स्थल बनाती हैं। यहां की हर कहानी, हर घटना भक्तों के विश्वास को और अधिक दृढ़ करती है। इस प्रकार, पटना के गौरी शंकर मंदिर का न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी अत्यधिक है, और इसके साथ जुड़े रहस्य व चमत्कार इसे एक खास और आकर्षक धार्मिक स्थल बनाते हैं।
शिव पूजा विधि और मंत्र
गौरी शंकर मंदिर में शिव पूजा की विधि भी प्रभावशाली है। यहां शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और चंदन चढ़ाया जाता है। भक्त "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही, "महामृत्युंजय मंत्र" का उच्चारण किया जाता है:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।”
यह मंत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और रोग, दुख, और मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। मंदिर में भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिसमें दीप जलाना, धूप लगाना, और शिवलिंग का फूलों से श्रंगार करना शामिल है। इस प्रकार, पटना के गौरी शंकर मंदिर का न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी अत्यधिक है, और इसके साथ जुड़े रहस्य व चमत्कार इसे एक खास और आकर्षक धार्मिक स्थल बनाते हैं।