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भारत माता मंदिर, पटना, बिहार ( Bharat Mata Temple, Patna, Bihar)

भारत माता मंदिर, पटना, बिहार ( Bharat Mata Temple, Patna, Bihar)

पटना के भारत माता मंदिर में मनाई जाती है अनोखी नवरात्रि, यहां चलती-फिरती और बोलती हैं मूर्तियां, 39 साल से जारी परंपरा 


पटना सिटी के भट्टी इलाके में स्थित भारत माता मंदिर में हर साल दुर्गा पूजा के अवसर पर एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है। पटना सिटी के स्थानीय और मंदिर कमिटी के सदस्य सुरेंद्र शर्मा बताते हैं कि इस मंदिर में पिछले 39 सालों से नवरात्रि के दौरान चलती-फिरती और बोलती मूर्तियों का प्रदर्शन किया जा रहा है, जो आम मूर्तियों से एकदम अलग दिखाई देती हैं। सबसे खास बात यह है कि यह अनूठा आयोजन किसी आधुनिक तकनीक की मदद से नहीं, बल्कि पूरी तरह से देशी जुगाड़ और स्थानीय लोगों की मेहनत से संभव होता है। हर साल यह मूर्तियों की झांकी एक नई थीम पर आधारित होती है, पिछले साल की थीम श्री राम जी के स्वयंवर पर आधारित थी, जिसमें श्री राम और सीता के विवाह के दृश्य को जीवंत किया गया था. सुरेंद्र शर्मा बताते हैं कि दुर्गा पूजा पर इस साल भी यहां कुछ अनोखा देखने को मिलेगा. हालांकि, इस बार किस थीम पर यहां अनोखी चलती फिरती और बोलती मूर्तियां बनाई जा रहीं हैं इस रहस्य से पर्दा तो दुर्गा पूजा के सप्तमी के दिन ही उठेगा. 

नवरात्रि का अद्भुत आकर्षण


यह परंपरा लगभग चार दशक से चली आ रही है और हर बार लोग इस झांकी को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। पटना सिटी के नुरुद्दीनगंज मोहल्ले के भारत माता मंदिर परिषद के पदाधिकारियों के अनुसार, इस अनूठी झांकी की तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो जाती है। इसमें इलाके के छोटे-बड़े सभी लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। यह सामूहिक प्रयास और आपसी सहयोग से ही संभव हो पाता है. साथ ही ये चलती-फिरती और बोलती मूर्तियां किस थीम पर बन रही है ये पहले से नहीं बताया जाता. यह झांकी हर साल लोगों के लिए एक अनोखा आकर्षण बन जाती है, और इसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है।


थीम और मूर्तियों का जीवंत प्रदर्शन


पिछले बार की झांकी का मुख्य आकर्षण राम जी का स्वयंवर था। इसमें श्री राम- सीता स्वयंवर की झांकी प्रस्तुत की गई थी, जिसे बेहद सराहा गया था. इस तरह की थीम आधारित मूर्तियों के निर्माण का यह सिलसिला पिछले 38 सालों से चल रहा है, और हर बार ये झांकी अपने आप में एक अद्भुत दृश्य होती है। झांकी का निर्देशन विजय कुमार पाल द्वारा किया जाता है, जो पिछले कई वर्षों से इस आयोजन से जुड़े हुए हैं। उनकी मेहनत और निर्देशन के कारण कई बार भारत मंदिर परिषद को स्थानीय लोक प्रशासन द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।


स्थानीय लोगों की होती है भागीदारी


सबसे खास बात यह है कि इन चलती-फिरती मूर्तियों को बनाने के लिए कोई भी बाहरी कारीगर नहीं बुलाए जाते। ये मूर्तियां पूरी तरह से मोहल्ले के लोगों के द्वारा ही बनाई जाती हैं। इसमें बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं और एक माहौल का निर्माण करते हैं जो आपसी सहयोग और मेहनत का प्रतीक होता है। मूर्तियों को बनाने और उन्हें चलाने के लिए देशी जुगाड़ का इस्तेमाल किया जाता है। पहले यह मशीनें भारी होती थीं, लेकिन आजकल हल्की और सरल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इन मूर्तियों को देखने के लिए लाखों लोग आते हैं, और इसे संभालने के लिए स्थानीय प्रशासन भी विशेष तैयारी करता है।


दर्शन करने वालों की होती है भारी भीड़


राजीव रंजन, जो इस झांकी को बचपन से देखते आ रहे हैं, बताते हैं कि हर साल लगभग 10 लाख लोग इन चलती-फिरती मूर्तियों के दर्शन के लिए आते हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में दर्शकों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन विशेष इंतजाम करता है। दर्शन करने वाले लोगों के लिए पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाती है, जिससे भीड़ को संभाला जा सके। हर साल यह आयोजन इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि लोग इसे अपने धार्मिक जीवन का हिस्सा मानते हैं।


ऐसे पहुंच सकते हैं यहां


भारत माता मंदिर, पटना सिटी के भट्टी पर इलाके में स्थित है। पटना रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है। वहीं, पटना साहिब रेलवे स्टेशन से यहां की दूरी महज 3 किलोमीटर है. भक्त यहां बस, ऑटो रिक्शा या टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। वहीं, अगर आप हवाई जहाज से आ रहे हैं, तो जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पटना से इस मंदिर की दूरी लगभग 17 किलोमीटर पड़ेगी। नवरात्रि के समय इस इलाके में विशेष यातायात व्यवस्था की जाती है, जिससे भक्तों को मंदिर तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो। इस अनोखी नवरात्रि झांकी का अनुभव एक ऐसा धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर है जिसे देखने के लिए हर साल हजारों लाखों लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह आयोजन पटना के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा देता है, और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां खिंचे चले आते हैं।


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