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आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥
आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥
जगत जननी जग की विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत-विहारिणि,
परम दयामयी दीनोद्धारिणी, सीता मैया भक्तन हितकारी की॥
आरती श्री जनक दुलारी की......
सती शिरोमणि पति हितकारिणि ,पति सेवा हित वन-वन चारिणि,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणि, त्याग धर्म मूरति धारी की॥
आरती श्री जनक दुलारी की......
विमल कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई,
सुमिरत कटत कष्ट दुखदाई, शरणागत जन भय-हारी की॥
आरती श्री जनक दुलारी की....
आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥
बोलिये रघुपतिप्रिय माता जानकी की जय