सीता माता जी की आरती (Sita Mata Ki Aarti)

आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥


जगत जननी जग की विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत-विहारिणि,

परम दयामयी दीनोद्धारिणी, सीता मैया भक्तन हितकारी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की......

 

सती शिरोमणि पति हितकारिणि ,पति सेवा हित वन-वन चारिणि,

पति हित पति वियोग स्वीकारिणि, त्याग धर्म मूरति धारी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की......

 

विमल कीर्ति सब लोकन छाई, नाम लेत पावन मति आई,

सुमिरत कटत कष्ट दुखदाई, शरणागत जन भय-हारी की॥

आरती श्री जनक दुलारी की....


आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥


बोलिये रघुपतिप्रिय माता जानकी की जय 

........................................................................................................
देवी लक्ष्मी स्तोत्रम् (Devi Lakshmi Stotram)

हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्र​जाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥

तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये (Tune Mujhe Bulaaya Shera Vaaliye)

साँची ज्योतो वाली माता,
तेरी जय जय कार ।

संपूर्ण पूजा विधि (Sampurna Pooja Vidhi )

सर्वप्रथम पूजन में भगवान गणपति का मन से स्मरण करना चाहिए,

श्रावण मास की कामिका एकादशी (Shraavan Maas Kee Kaamika Ekaadashee)

युधिष्ठिर ने कहा-हे भगवन्! श्रावण मास के कृष्णपक्ष की एकदशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है सो मुझसे कहने की कृपा करें।