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वृक्ष मंदिर, वैशाली, बिहार (Vriksha Temple, Vaishali, Bihar)

वृक्ष मंदिर, वैशाली, बिहार (Vriksha Temple, Vaishali, Bihar)

अपनी अस्मत बचाने के लिए पृथ्वी में समा गई थी महिला, तभी से बिहार के वैशाली में होती है एक पेड़ की पूजा


नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है, पूरे देश में ये पर्व काफी उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है। जहां एक तरफ देश के अधिकांश स्थानों पर नवरात्रि में बड़े- बड़े पंडाल लगाए जाते हैं वहीं बिहार के वैशाली जिले में मां के शक्ति स्वरूप के रूप में एक प्राचीन वृक्ष की पूजा की जाती है। इसके अलावा यहां एक खास मेला भी लगता है जो आसपास के लोगों के लिए पूरी नवरात्रि में आकर्षण का केंद्र बना रहता है। भक्तवत्सल के इस लेख में जानते हैं वैशाली जिले के इस माता स्वरूपा वृक्ष की कथा अधिक विस्तार से…..


इस मंदिर में मूर्ति नहीं वृक्ष की पूजा होती है


बिहार के वैशाली जिले में स्थित जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड में भगवानपुर रतनपुरा गांव में स्थित है। इस अनोखे मन्दिर में भगवान की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। यहां बस एक प्राचीन वृक्ष की पूजा होती है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि पहले इस वृक्ष में पत्ते तोड़ने पर रक्त के जैसा ही लाल रंग निकलता था। इसलिए यहां दूर- दूर से लोग आए और इसके महत्व को जानने की कोशिश की। इसके अलावा वैज्ञानिक भी यहां पहुंचे और इस गुत्थी को सुलझाने का काफी प्रयास किया लेकिन अभी तक किसी को यह पता नहीं चल पाया कि आखिर ये पेड़ किस प्रजाति का है।


जानिए क्या है कहानी? 


स्थानीय लोगों के अनुसार बहुत साल पहले यहां एक महिला पशुचारा लेने गई थी और कुछ बदमाशों द्वारा उसकी अस्मत लूटने का प्रयास किया गया। अपनी रक्षा के लिए महिला ने धरती माता को याद किया और उसी क्षण धरती में समा गई। लोगों की माने तो ये वही महिला है जो बाद में यहां वृक्ष के रूप में प्रकट हो गई। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों को स्वप्न में इस वृक्ष की पूजा करने का आदेश भी मिला। जिसके बाद इस वृक्ष को शक्ति के रूप में पूजा जाने लगा। यहां दूर दूर से लोग दर्शन करने आते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी भी होती हैं।


वृक्ष पूजा का है विशेष महत्व


बता दें कि हिंदू धर्म में प्रकृति के प्रति कई प्राचीन मान्यताएँ हैं। विशेष रूप से पेड़ों के धार्मिक महत्व के बारे में कई शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में तो ये भी वर्णित है कि पेड़ों को भी खुशी और दुख का अनुभव होता है। क्योंकि उनके पास भी एक तरह की चेतना होती है और वे भी जीवित प्राणी होते हैं। विज्ञान भी इस तथ्य को झुठला नहीं पाया है। मनुष्यों की तरह पेड़ भी संसार का हिस्सा होते हैं। यदि हम वैदिक शास्त्र की नजर से भी देखे तो हिंदू अथवा सनातन संस्कृति के लोग प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं और मानते हैं कि पेड़, प्राणियों के लिए जीवन का स्रोत हैं। हिंदू धर्म में पेड़ों का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। वास्तव में प्रत्येक पेड़ का एक वृक्ष देवी या देवता होता है, जिसकी पूजा की जाती है और उनका सम्मान किया जाता है और उनकी जड़ों को जल देकर उनके हमेशा सही और स्वस्थ रहने की कामना की जाती है।


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