अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,
गिरवर धारी हो,
हम आए शरण तिहारी ॥
महापातकी रहा अजामिल,
उसे मिला सुरधाम,
नारायण आ गए लिया जब,
पुत्र का अपने नाम,
संकट हारी हो,
आया शरण तिहारी,
अवध बिहारी हों,
हम आए शरण तिहारी ॥
जब जल में गजराज ग्राह में,
युद्ध हुआ घनघोर,
हार गया गज तो बोला,
दौड़ो नंद किशोर,
सुदर्शन धारी हो,
आया शरण तिहारी,
अवध बिहारी हों,
हम आए शरण तिहारी ॥
हिरणाकुश प्रहलाद को जब,
बाँधा खंबे के साथ,
तब बोला प्रहलाद कहाँ हो,
आओ दीनानाथ,
शरण हितकारी हो,
आया शरण तिहारी,
अवध बिहारी हों,
हम आए शरण तिहारी ॥
अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,
गिरवर धारी हो,
हम आए शरण तिहारी ॥
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिंदू धर्म में तैंतीस करोड़ या तैंतीस कोटि देवी-देवता हैं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि कुल तैंतीस देवता हैं, जिनमें 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र, प्रजापति शामिल हैं।
जब से सृष्टि है, तब से सनातन धर्म है और तब से ही हमारे देवी-देवता। हिंदू धर्म में सभी देवताओं का अपना महत्व और उनकी आराधना करने का अलग-अलग विधान और फल।
देव दीपावली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस के संहार की याद में मनाया जाता है।
हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला देव दिवाली पर्व भगवान शिव की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्गलोक में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।