बांके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे,
भक्तन के रखपाल,
तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
चारों वेद तेरा जस गावे,
नेती नेती सदा पुकारे,
फिर भी ना पावे पार,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
दुःख संकट के तुम रखवारे,
भक्तन की आँखों के तारे,
दूर करो अंधकार,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
हम दुखियारे द्वार तिहारे,
रेन दिना यह विनय पुकारे,
करे भव सागर से पार,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
हम पागल है दुनिया वाले,
स्वार्थ के है सब मतवाले,
अब तो आकर थाम,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
बांके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे,
भक्तन के रखपाल,
तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
भारतीय संस्कृति में अमावस्या तिथि का हमेशा से विशेष महत्व रहा है। खासकर वैशाख मास की अमावस्या, जिसे 'वैशाख अमावस्या' कहा जाता है। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ मानी जाती है।
परशुराम जयंती, भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है और अक्षय तृतीया के साथ इसका संयोग इस दिन को और भी शुभ बनाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।