मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन मां भगवती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके साथ ही व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन कामों को करने से जातक को मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। कहते हैं मां दुर्गा के शरण और चरण रहने वाले साधकों की बिगड़ी किस्मत भी संवर जाती है। साधक श्रद्धा भाव से दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा की कठिन साधना एवं उपासना करते हैं। अगर आप भी जीवन में दुखों से छुटकारा पाना चाहते हैं, अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की पूजा अवश्य करें। आइए जानते हैं साल 2025 की पहली दुर्गा अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार पौष माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत सोमवार, 6 जनवरी 2025 को शाम 6 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। वहीं तिथि का समापन मंगलवार 7 जनवरी को शाम 4 बजकर 26 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, दुर्गा अष्टमी का व्रत 7 जनवरी को रखा जाएगा।
डोल पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से बंगाल, असम, त्रिपुरा, गुजरात, बिहार, राजस्थान और ओडिशा में मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति को पालकी पर बिठाया जाता है और भजन गाते हुए जुलूस निकाला जाता है।
चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला महीना होता है। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा यह वसंत ऋतु के खत्म होने का प्रतीक भी है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। यह त्योहार हमें धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं।
नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।