सनातन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए मासिक कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही खास और पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। दरअसल, कृष्ण जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि उनका जन्म अच्छाई को बढ़ावा देने और बुराई को खत्म करने के लिए हुआ था। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं साल पहली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि कब और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 21 जनवरी 2025 को रात 12 बजकर 39 मिनट शुरू होगी और अगले दिन यानि 22 जनवरी 2025 की रात 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में साल की पहली मासिक जन्माष्टमी का व्रत 21 जनवरी 2025 को रखा जाएगा।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में 12 बजे हुआ था, इसलिए पूजा का शुभ मुहूर्त भी रात को होता है। पंचांग के अनुसार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 6 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट तक है। इस दिन पूजा के लिए आपको कुल 53 मिनट का समय मिलेगा। इस दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात को भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
इस दिन पूजा और व्रत करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत ऱखने से घर में खुशहाली और शांति आती है, साथ ही व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान कृष्ण भक्तों की सभी मनोकामनाएं करते हैं।
हिंदू धर्म में जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, तो उनके वाहन नंदी की भी विशेष रूप से की जाती है। नंदी को कैलाश का द्वारपाल कहते हैं।
कामधेनु एक दिव्य गाय है, जिसे सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली माना जाता है। समुद्र मंथन के दौरान निकले चौदह रत्नों में से एक, कामधेनु को देवताओं और दानवों दोनों ने ही पाने की इच्छा रखी थी।
वेंकटेश्वर भगवान को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। तिरुमाला के वेंकटेश्वर मंदिर में उनकी मूर्ति स्थापित है, जो विश्व के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।
ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥