हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण की मासिक जन्माष्टमी मनाई जाती है। भले ही भाद्रपद मास में आने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से मनाई जाती है, लेकिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का भी विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है। यह व्रत और रात्रि पूजन भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण और साधना का प्रतीक माना जाता है।
आषाढ़ महीने में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 18 जून, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 1:34 बजे से शुरू होकर 19 जून को सुबह 11:55 बजे तक रहेगी। विशेष बात यह है कि इस अष्टमी तिथि के दौरान निशिता काल में पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। निशिता पूजा मुहूर्त 18 जून की रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, और इसलिए इस मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
मासिक जन्माष्टमी के दिन किए गए व्रत, दान, और जप का फल कई गुना अधिक मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मासिक जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवन में सुख-शांति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह व्रत खासकर उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो हर महीने श्रीकृष्ण से जुड़ाव बनाए रखना चाहते हैं।
जय जय श्री शनिदेव, भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु, छाया महतारी॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे॥
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर, आवो प्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनी और कंचन महल बनाये।