Dahi Handi Katha: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के अगले दिन मनाया जाने वाला ‘दही हांडी’ का पर्व खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और मुंबई के आस-पास के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन युवाओं की टीमें ऊंची-ऊंची मानव पिरामिड बनाकर लटकी हुई मटकी फोड़ने की रोमांचक प्रतियोगिता में भाग लेती हैं, जिसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटती है। ऐसे में आइए जानते हैं, इस साल दही हांडी का पर्व कब मनाया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा...
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दही हांडी का पर्व 17 अगस्त 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा। चूंकि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को है, इसलिए परंपरा के अनुसार उसके अगले दिन दही हांडी का आयोजन किया जाएगा। इसे गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन नन्हे कान्हा ने गोकुल में अपनी मनमोहक बाल लीलाओं से सभी का मन मोह लिया था।
दही हांडी एक लोकप्रिय पारंपरिक पर्व है, जिसमें युवाओं की टीमों को ‘गोविंदा’ के नाम से जाना जाता है। ये टीमें मिलकर ऊंची मानव पिरामिड बनाती हैं और ऊपर लटकाई गई दही व माखन से भरी मटकी को फोड़ने का प्रयास करती हैं। यह उत्सव भगवान कृष्ण की बचपन की माखन-चोरी और शरारतों की याद में मनाया जाता है। गोविंदा की टोली ढोल-नगाड़ों और गीत-संगीत के बीच उत्साह से गलियों में घूमती है और दही हांडी में भाग लेती है। कई जगहों पर इस आयोजन को प्रतियोगिता के रूप में आयोजित किया जाता है, जिसमें विजेता टीमों को इनाम दिए जाते हैं।
दही हांडी केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी एक रोचक लीलाओं की याद दिलाती है। मान्यता है कि नन्हे कान्हा को दही, माखन और मक्खन अत्यंत प्रिय थे। वे अपने मित्रों के साथ मिलकर घरों में ऊंचाई पर लटकी मटकियों से माखन चुराया करते थे, जिसे प्रेमपूर्वक माखनचोरी कहा जाता है। इसी परंपरा को जीवंत रखने के लिए आज भी ऊंची जगह पर मटकी टांगी जाती है और गोविंदा की टोली मिलकर उसे फोड़ने का प्रयास करती है। दही हांडी का यह पर्व न केवल उन चंचल लम्हों को याद दिलाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि एकजुट होकर, साहस और सहयोग से किसी भी ऊंची मंजिल को पाया जा सकता है।