सावन मास का प्रत्येक दिन धार्मिक रूप से विशेष माना जाता है, लेकिन दामोदर द्वादशी दामोदर द्वादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु के ‘दामोदर’ स्वरूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। दामोदर नाम का अर्थ है, जिसके उदर (पेट) में ब्रह्मांड समाया हुआ है और जो माता यशोदा द्वारा कमर में रस्सी से बांधे गए थे। यह नाम भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप से जुड़ा है, जो विष्णु के अवतार हैं।
साल 2025 में सावन की दामोदर द्वादशी सोमवार, 5 अगस्त को मनाई जाएगी। यह द्वादशी तिथि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की होती है और पवित्रा एकादशी व्रत का पारण भी इसी दिन किया जाता है।
पुराणों के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से भगवान दामोदर की आराधना करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। व्रत, ध्यान और मंत्रों का जाप भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना गया है।
विष्णु पुराण और पद्म पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि दामोदर द्वादशी का व्रत रखने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक माना गया है।