गणेश चतुर्थी की शुरुआत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और यह पर्व चतुर्दशी तिथि को समाप्त होता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव होता है। इस दौरान गणपति बप्पा के स्वागत के लिए पंडाल सजाए जाते हैं और भक्तगण अपने घरों में उनकी प्रतिमा स्थापित करते हैं।
गणपति की स्थापना के बाद रोज सुबह और शाम उनकी पूजा-अर्चना और आरती की जाती है। भगवान गणेश के शरीर के विभिन्न अंगों का विशेष आध्यात्मिक महत्व बताया गया है—
यदि इस गणेश चतुर्थी पर आप अपने घर में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, तो उनकी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची जान लें।
1) भगवान गणेश की प्रतिमा (मिट्टी, स्वर्ण, चांदी, पीतल आदि की हो सकती है)
2) पूजा की अनिवार्य सामग्री:
3) अन्य पूजन सामग्री:
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के 21 नामों का जप करने से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत अपने विशेष महत्व के लिए ही जाने जाते हैं। पर साल 2024 में पौष माह के प्रदोष व्रत को ख़ास माना जा रहा है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और शनिदेव के आराधना के लिए समर्पित होता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले इस व्रत में शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। पर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने पर उसे शनि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।
सर पे चुनरिया लाल,
और हाथों में मेहंदी रचाई है,