इंदिरा एकादशी को पितृ पक्ष की सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक माना जाता है। यह अश्विन माह में आती है और इस वर्ष यह 17 सितंबर, बुधवार को पड़ रही है। इंदिरा एकादशी की पूजा न केवल श्राद्ध के लिए बल्कि सफलता और समृद्धि के लिए भी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विधिवत पूजा, व्रत और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और भंडार अन्न-धन से भरा रहता है।
आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र को मां लक्ष्मी की कृपा पाने का श्रेष्ठ साधन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब आदि शंकराचार्य ने पहली बार इस स्त्रोत की रचना की थी तब सोने की वर्षा हुई थी। धर्मशास्त्र के अनुसार, इंदिरा एकादशी के दिन यह पाठ करने से सफलता मिलती है और दरिद्रता का नाश होता है। कनकधारा स्त्रोत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे अन्न-धन की कभी कोई कमी नहीं होती है।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि आती है। साथ ही, पारिवारिक जीवन में चल रही परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का स्मरण करता है, उसे मृत्यु के बाद यमलोक के कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता। इसीलिए पितृ पक्ष में इस व्रत का पालन विशेष महत्व रखता है।
सूर्योदय से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति/फोटो को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें पीला वस्त्र पहनाएं फिर पुष्प अर्पित करें। सुबह या शाम को पूजा के समय शांत मन से 11, 21 या 108 बार कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें, इससे आशीर्वाद प्राप्त होता है।