Janmashtami Mandir 2025: भगवान श्रीकृष्ण केवल एक देवता ही नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और ज्ञान के अवतार भी माने जाते हैं। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो उनकी दिव्यता और चचमत्कारी उपस्थिति से जुड़े हुए हैं। इनमें से कुछ मंदिर इतने प्राचीन, रहस्यमयी और आस्था से पूर्ण हैं कि वहां दर्शन करना हर किसी के लिए संभव नहीं होता। कहा जाता है कि इन मंदिरों में केवल उन्हीं भक्तों को दर्शन मिलते हैं, जिन पर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं भारत के 5 ऐसे सबसे ऐतिहासिक श्रीकृष्ण मंदिरों के बारे में, जहां दर्शन पाना भाग्यशाली माना जाता है।
यह गुजरात का एक प्रमुख और सबसे फेमस कृष्ण मंदिर है, जिसे जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का एक अहम हिस्सा है। गोमती क्रीक के किनारे स्थित इस मंदिर की मुख्य संरचना लगभग 43 मीटर ऊंची है। ऐसा कहा जाता है कि गुजरात की धार्मिक यात्रा इस मंदिर के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां का माहौल देखने लायक होता है। इस अवसर पर पूरा मंदिर अंदर-बाहर खूबसूरती से सजाया जाता है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन वृंदावन में बिताया था। यह भगवान के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है। भगवान कृष्ण को बांके बिहारी के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इस मंदिर का नाम श्री बांके बिहारी मंदिर रखा गया है। जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दरवाजे रात 2 बजे खोल दिए जाते हैं। मंगला आरती वर्ष में केवल एक बार होती है।
यह मथुरा का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण की काली प्रतिमा की पूजा की जाती है। वहीं, यहां राधा की मूर्ति सफेद रंग की है। इस प्राचीन मंदिर की वास्तुकला भारत की पारंपरिक शैली से प्रेरित है, जो देखने वालों को एक अलग ही शांति और सुकून का अनुभव कराती है। जन्माष्टमी के त्योहार पर इस मंदिर में भव्य उत्सव मनाया जाता है और इस दौरान मंदिर का माहौल बेहद मनोहारी और आकर्षक होता है।
यह कर्नाटक का सबसे फेमस पर्यटन स्थल भी है। इस मंदिर की खास बात यह है कि भगवान की पूजा नौ खिड़कियों के छिद्रों के माध्यम से की जाती है। हर साल यहां पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है, लेकिन जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। पूरा मंदिर फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से खूबसूरती से सजाया जाता है। त्योहार के दिन यहां भारी भीड़ होती है, जिसके कारण दर्शन के लिए कई बार 3-4 घंटे तक इंतजार करना पड़ सकता है।
उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। जन्माष्टमी के मुकाबले यहां की सबसे बड़ी रौनक वार्षिक रथ यात्रा के दौरान देखने को मिलती है। यह रथ यात्रा धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस आयोजन में हिस्सा लेने और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु पुरी आते हैं। हर वर्ष इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें तीन विशाल रथ शामिल होते हैं। सबसे आगे बलराम जी का रथ होता है, उसके बाद बहन सुभद्रा का रथ और अंत में भगवान कृष्ण अपने रथ में विराजमान होकर यात्रा करते हैं।