Janmashtami Puja Vidhi at Home: अगस्त का महीना त्योहारों की बहार लेकर आता है और इस दौरान खुशियों का माहौल हर तरफ छा जाता है। वहीं, कृष्णभक्तों को जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इसलिए घर-वाले अर्थात् गृहस्थ जन्माष्टमी एक दिन पहले मनाते हैं और वैष्णव परंपरा के अनुसार भव्य आयोजन अगले दिन होता है। ऐसे में अगर आप पूजा-सामग्री या पूजा-विधि को लेकर उलझन में हैं, तो आइए जानते हैं जन्माष्टमी की सही पूजा विधि और सामग्री लिस्ट के बारे में...
यदि आप जन्माष्टमी की पूजा पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान से करना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ विशेष सामान की आवश्यकता होगी। सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या लड्डू गोपाल की मूर्ति चाहिए होगी। इसके साथ ही पूजा के लिए फल, ताजे फूल, धूपबत्ती, दिया, रोली, चंदन, गंगाजल, माचिस, कपूर, कलावा, अक्षत (चावल), नारियल, लड्डू गोपाल के वस्त्र, तुलसी की माला, मोर पंख, बांसुरी और एक सुंदर झूला या आसन चाहिए होगी।
श्रीकृष्ण के भोग के लिए कई विशेष सामग्रियों की जरूरत होती है। भोग तैयार करने के लिए पान, सुपारी, लौंग, इलायची, माखन, मिश्री, ताजे फल, मिठाइयां, धनिया पंजीरी, खीरा, पंच मेवा, गाय का दूध, दही और शुद्ध घी पहले से इकट्ठा कर लें। ऐसा माना जाता है कि इन सामग्रियों से तैयार भोग भगवान को अर्पित करने पर पूजा का फल और भी बढ़ जाता है।
जन्माष्टमी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थान की पूरी सफाई कर लें। लड्डू गोपाल को स्नान कराकर नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। इसके बाद उन्हें झूले या आसन पर विराजमान करें और माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। भगवान को भोग अर्पित करें, जिसमें जल और तुलसी पत्र अवश्य शामिल हों। कई भक्त इस दिन छप्पन भोग बनाने की परंपरा निभाते हैं, जिसके लिए तैयारी पहले से करनी चाहिए। घर में बने पंचामृत, पंजीरी, फल और मिठाइयों का भोग लगाएं। पूजा के बाद निकट के किसी कृष्ण मंदिर में जाकर दर्शन करें। यदि आप व्रत रखते हैं, तो शुभ मुहूर्त के अनुसार व्रत खोलकर पहले जल ग्रहण करें और फिर प्रसाद का सेवन करें।