Kajari teej 2025: महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है कजरी तीज का व्रत, यहां जानें पूजा विधि और सामग्री
कजरी तीज, जिसे ‘बड़ी तीज’ भी कहा जाता है, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से रखती हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां मनचाहे वर और शीघ्र विवाह की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं।
कजरी तीज का धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ
- पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है।
- माता पार्वती की कृपा से महिलाओं को चिरसौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
- अविवाहित महिलाओं के लिए विवाह के शुभ योग बनते हैं।
- व्रत और पूजा से आत्मिक शांति, विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कजरी तीज की पूजा विधि
- व्रत का संकल्प: महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं।
- नीमड़ी पूजन: इस दिन नीम के पेड़ की पूजा की जाती है, जिसे नीमड़ी माता कहा जाता है।
- शिव-पार्वती की पूजा: भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजा की जाती है।
- विधिवत अर्चना: फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप और 16 श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
- व्रत कथा: कजरी तीज की कथा का पाठ या श्रवण किया जाता है।
- चंद्रोदय पर अर्घ्य: चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
कजरी तीज की पूजा सामग्री
- माता पार्वती के लिए: 16 श्रृंगार की सामग्री (सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, चुनरी, कुमकुम आदि)
- भगवान शिव के लिए: बेलपत्र, धतूरा, भांग
- सामान्य सामग्री: फल (केला, सेब आदि), फूल, मिठाई (सत्तू विशेष), दीपक, घी, कपूर, धूप
- अभिषेक सामग्री: कच्चा दूध, जल, पंचामृत
- पूजन के लिए: रोली, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), शमी के पत्ते, दूर्वा घास, सुपारी
- विशेष पूजन वस्त्र: लाल या पीला कपड़ा
- नीमड़ी माता के लिए: तस्वीर या मूर्ति (जहां परंपरा हो)
- पूजा का आसन: चौकी या पाटा