कजरी तीज, जिसे बड़ी तीज भी कहा जाता है, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसे पति की लंबी उम्र, दांपत्य जीवन में सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं, तो विवाह में आ रही कठिनाइयों का समाधान होता है और पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
कजरी तीज पर नीम की डाली की पूजा का विशेष महत्व है। इसे नीमड़ी माता की पूजा कहा जाता है। इस दिन गाय का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत तैयार करें और उससे नीम की डाली का अभिषेक करें। यह उपाय जीवन में शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी/तालाब के किनारे की मिट्टी से भगवान शिव और माता गौरी की मूर्ति बनाएं और उन्हें अपने घर के पूजा स्थल पर स्थापित करें। पूजा के दौरान बेलपत्र, अक्षत, फूल, धूप और दीप अर्पित करें। यह उपाय विवाह में स्थिरता लाता है और पति-पत्नी के बीच विश्वास मजबूत करता है।
कजरी तीज पर सत्तू, मौसमी फल, मिठाई और सुहाग सामग्री का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह उपाय न केवल पुण्य प्रदान करता है बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि का मार्ग भी खोलता है।
निर्जला व्रत के बाद चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध, जल और चावल मिलाकर अर्घ्य दें। ऐसी मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं समाप्त होती हैं और मानसिक शांति मिलती है।
माता पार्वती को लाल चुनरी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी और कंगन अर्पित करें। यह उपाय अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिलाता है और परिवार में सुख-शांति बनाए रखता है।