हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी मनाई जाती है। यह एकादशी सावन माह की पहली एकादशी होती है, इसलिए इसका आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व अत्यंत विशेष माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से कष्टों का नाश होता है और घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है। सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है, इसलिए इस एकादशी पर विष्णु और शिव दोनों की आराधना करने से व्रती की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हिंदी पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में कामिका एकादशी का व्रत रविवार 09 अगस्त को रखा जाएगा।
एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि समाप्त होने से पूर्व करना शास्त्रसम्मत माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख समृद्धि का वास होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि सावन मास में की गई विष्णु भक्ति विशेष फलदायी होती है। इस एकादशी को पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि यह मन और आत्मा को शुद्ध करने वाली मानी जाती है।
कामिका एकादशी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल की विधिवत सफाई करें। एक लकड़ी की चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। भगवान विष्णु का दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें और पीला चंदन व पीले पुष्प अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। रात्रि में जागरण करते हुए व्रत कथा का पाठ करें और अंत में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी और भगवान शिव की आरती करें।
कामिका एकादशी के दिन पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु को पीले पुष्प और पीली मिठाई अर्पित करना शुभ माना जाता है। आर्थिक परेशानियों से मुक्ति के लिए पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाकर परिक्रमा करें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर की दरिद्रता दूर होती है।
इस दिन व्रती शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, दूध, बादाम, सेंधा नमक आदि का सेवन कर सकते हैं। एकादशी व्रत में अन्न का सेवन वर्जित होता है। साथ ही मांस मछली अंडा लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।