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मंडला पूजा 2025 शुभ मूहूर्त

मंडला पूजा 2025 शुभ मूहूर्त

Mandala Puja 2025: कब है मंडला पूजा? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, नियम और महत्व

मंडला पूजा दक्षिण भारत का एक अत्यंत पवित्र और प्रमुख धार्मिक उत्सव है, जो विशेष रूप से केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मनाया जाता है। यह पूजा भगवान अयप्पा को समर्पित होती है और 41 दिनों तक चलने वाले तप एवं साधना काल के समापन का प्रतीक मानी जाती है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह व्रत वृश्चिक मास के प्रथम दिन से आरंभ होता है और धनु मास के 11वें या 12वें दिन समाप्त होकर मंडला पूजा के रूप में मनाया जाता है। सबरीमाला मंदिर में मंडला पूजा और मकर विलक्कु दोनों ही अत्यंत प्रसिद्ध और भव्य धार्मिक आयोजन माने जाते हैं, जिनमें लाखों भक्त हिस्सा लेते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मंडला पूजा 2025 में कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या होगा, पूजा विधि, नियम और इसका धार्मिक महत्व क्या है।

मंडला पूजा 2025 कब है? 

साल 2025 में मंडला पूजा का आयोजन 27 दिसंबर, शनिवार को किया जाएगा। यह पवित्र उत्सव भगवान अयप्पा की आराधना के 41 दिवसीय तप और साधना काल के समापन का प्रतीक है। इस वर्ष मंडला पूजा की शुरुआत सोमवार, 17 नवंबर 2025 से होगी और इसका समापन शनिवार, 27 दिसंबर 2025 को भव्य पूजा और विशेष अनुष्ठानों के साथ सबरीमाला अयप्पा मंदिर में किया जाएगा।

मंडला पूजा 2025 शुभ मुहूर्त 

  • ब्रह्म मुहूर्त - प्रात:काल 05:23 बजे से सुबह 06:18 बजे तक 
  • अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:02 बजे से दोपहर 12:43 बजे तक 
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:29 बजे से शाम 05:57 बजे तक
  • त्रिपुष्कर योग - सुबह 07:12 बजे से सुबह 09:09 बजे तक

 

मंडला पूजा की सामग्री और विधि 

पूजा सामग्री-

मंडला पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियां बहुत साधारण होती हैं, लेकिन इन्हें पूरी निष्ठा और भक्ति भाव से अर्पित करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं इस प्रकार हैं —

  • भगवान अयप्पा की प्रतिमा या फोटो
  • व्रतधारी के लिए पीले वस्त्र या काली धोती
  • तिल या नारियल तेल से जलाया जाने वाला दीपक
  • कपूर और अगरबत्ती
  • फूल (विशेषकर तुलसी, कमल या पीले रंग के फूल)
  • अक्षत (चावल)
  • हल्दी और सिंदूर
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से तैयार)
  • नारियल
  • मौसमी फल और मिठाई
  • तुलसी पत्र
  • बेल पत्र (भगवान शिव के पूजन हेतु)
  • पवित्र जल (गंगाजल या किसी तीर्थस्थान से लाया गया)
  • प्रसाद के लिए गुड़, चना या नारियल

मंडला पूजा की विधि

व्रत और तैयारी

  • पूजा से पहले भक्त 41 दिनों का व्रत संकल्प लेते हैं।
  • इस अवधि में सात्त्विक भोजन, संयमित जीवनशैली और ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है।
  • भक्त प्रायः काली या नीली धोती धारण करते हैं और शरीर व मन की शुद्धता बनाए रखते हैं।
  • प्रतिदिन प्रातः स्नान कर भगवान अयप्पा का ध्यान करते हुए “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का जाप किया जाता है।

पूजन प्रारंभ

  • सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र करें।
  • भगवान अयप्पा की मूर्ति या चित्र को पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
  • दीपक जलाकर और धूप-अगरबत्ती से वातावरण को सुगंधित करें।
  • गंगाजल या पवित्र जल से कलश पूजन करें और संकल्प लें कि आप 41 दिनों तक श्रद्धा से यह पूजा संपन्न करेंगे।

मुख्य पूजा विधि

  • प्रारंभ में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करें।
  • इसके बाद भगवान अयप्पा की आराधना करें — उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, तुलसी पत्र अर्पित करें।
  • दीप और कपूर से आरती करें।
  • श्रद्धा भाव से “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • इसके साथ ही भगवान शिव, विष्णु और हनुमान जी की भी पूजा करें, क्योंकि अयप्पा स्वामी इन तीनों के दिव्य आशीर्वाद से प्रकट हुए हैं।

भोग और आरती

  • भगवान अयप्पा को नारियल, गुड़, चना, फल और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • इसके बाद आरती करें — “हरिवरासनं विश्वमोहनं, हरिदधीस्वरं अर्यपादुकं नमामि।
  • आरती के पश्चात प्रसाद वितरित करें और सभी भक्त मिलकर भगवान अयप्पा का नाम स्मरण करें।

व्रत के दौरान इन नियमों का करें पालन

  • पूरे व्रत काल में ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें।
  • मांस, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज रखें।
  • सत्य बोलें, विनम्र और शांत स्वभाव बनाए रखें।
  • प्रतिदिन सुबह और शाम दो बार स्नान कर भगवान अयप्पा की पूजा करें।
  • कुछ श्रद्धालु व्रत के दौरान नंगे पैर चलने और जमीन पर सोने का नियम अपनाते हैं।
  • नियमित रूप से “स्वामीये शरणम अयप्पा” मंत्र का स्मरण और जाप करते रहें।

मंडला पूजा का महत्व

सबरीमाला मंदिर में होने वाली मंडला पूजा दक्षिण भारत का एक अत्यंत प्रसिद्ध और भव्य धार्मिक आयोजन है। इस पवित्र अवसर पर देशभर से हजारों श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए सबरीमाला पहुंचते हैं। मंडला पूजा के दौरान मंदिर लंबे समय तक भक्तों के लिए खुला रहता है, जिससे वे किसी भी समय भगवान के दर्शन कर सकें। प्राचीन पुराणों में भी इस पूजा का उल्लेख मिलता है। साथ ही इसके आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक मंडला पूजा करता है, उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। भगवान अयप्पा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। साथ ही उसे शक्ति, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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