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मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह को अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर माना गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है - “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्”। अर्थात महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस माह की अमावस्या तिथि, जिसे मार्गशीर्ष अमावस्या या अगहन अमावस्या कहा जाता है, धार्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र होती है। यह दिन भगवान विष्णु, चंद्र देव और पितरों की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। लेकिन इस वर्ष इसकी तिथि को लेकर लोगों में कुछ भ्रम है- तो चलिए विस्तार से जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में। 

कब है मार्गशीर्ष अमावस्या 2025? 

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या की शुरुआत 19 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगी, जो कि अगले दिन 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस वर्ष। मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। 

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त 

  • सूर्योदय - प्रात:काल 06:48 बजे 
  • सूर्यास्त - शाम 05:26 बजे 
  • ब्रह्म मुहूर्त - प्रात:काल 05:01 बजे से प्रात:काल 04 बजे तक 
  • अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:26 बजे से शाम 05:52 बजे तक 
  • सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 10:58 बजे से 21 नवंबर 06:49 बजे तक 

मार्गशीर्ष अमावस्या की संपूर्ण पूजा विधि

पूजन सामग्री

मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा के लिए कुछ सरल लेकिन पवित्र वस्तुएं आवश्यक होती हैं। इन सामग्रियों को पहले से एकत्रित कर लेना चाहिए

  • भगवान विष्णु, शिव या श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र
  • तुलसी पत्र, पुष्प (विशेषकर पीले या सफेद फूल)
  • चंदन, रोली, अक्षत (चावल)
  • दीपक और घी या तिल का तेल
  • कपूर और अगरबत्ती
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण)
  • फल, मिठाई या प्रसाद के रूप में गुड़ और चना
  • पवित्र जल (गंगाजल या किसी तीर्थस्थल का जल)
  • दान हेतु वस्त्र, अन्न या कंबल

पूजा विधि

  • अमावस्या के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। यदि संभव हो तो नदी, तालाब या गंगाजल से स्नान करना शुभ माना जाता है।
  • घर के पूजन स्थान को शुद्ध कर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें। मन में यह संकल्प लें कि आप श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत का पालन करेंगे।
  • दीपक जलाकर भगवान का ध्यान करें। चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद तुलसी पत्र और पुष्प अर्पण करें।
  • फिर ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ या ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें।
  • भगवान की प्रतिमा या चित्र का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद फल, मिठाई, गुड़ या चना अर्पित करें और दीपक-कपूर से आरती करें।
  • इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण करना अत्यंत शुभ होता है। गंगा जल या किसी पवित्र जलाशय में जल अर्पित करें और भोजन, वस्त्र या कंबल का दान करें।
  • पूरे दिन सात्त्विक आहार ग्रहण करें। मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज आदि से परहेज करें। व्रत पूर्ण होने के बाद अगले दिन प्रातः हल्का भोजन करके व्रत का समापन करें।

व्रत और पूजा के लाभ

  • पापों से मुक्ति: मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत श्रद्धा से करने पर जीवन के समस्त पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति के कर्म शुद्ध होते हैं।
  • पितृ तृप्ति: इस दिन किए गए तर्पण और दान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष का निवारण होता है।
  • ईश्वरीय कृपा: भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत मन को स्थिर करता है, मानसिक शांति प्रदान करता है और आत्मिक विकास के मार्ग को प्रशस्त करता है।
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