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आषाढ़ मासिक कार्तिगाई

आषाढ़ मासिक कार्तिगाई

Masik Karthigai 2025: आषाढ़ महीने में कब है मासिक कार्तिगाई? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार, मासिक कार्तिगाई एक विशेष पर्व है जो हर महीने कार्तिगई नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है, विशेषकर तमिलनाडु में। इस दिन भगवान शिव और उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। भगवान शिव की ऊर्जा और भगवान कार्तिकेय की वीरता का स्मरण करते हुए श्रद्धालु उपवास करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं।

रविवार, 22 जून को मनाई जाएगी मासिक कार्तिगाई 

इस साल आषाढ़ महीने में यह पर्व 22 जून, रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिगई नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, इसलिए पूरे दिन को पूजा के लिए शुभ माना गया है। विशेष पूजा सुबह सूर्योदय से लेकर रात्रि दीप प्रज्ज्वलन तक की जाती है।

मासिक कार्तिगाई विशेष पूजा विधि 

  • पूजा स्थल पर भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर रखें। 
  • उन्हें फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, फल और नैवेद्य अर्पित करें। 
  • भगवान शिव के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ और भगवान कार्तिकेय के लिए ‘ॐ मुरुगाय नमः’ मंत्र का जाप करें। 
  • साथ ही, ‘सुब्रमण्याष्टकम्’ या ‘शिव तांडव स्तोत्रम्’ का पाठ भी कर सकते हैं।
  • इस दिन दीप जलाने की विशेष परंपरा होती है। इसलिए घर के मुख्य द्वार, पूजा स्थल, तुलसी चौरा और खिड़कियों के पास दीपक रखें। घी अथवा तिल के तेल का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।

मासिक कार्तिगाई विशेष दान 

इस दिन वस्त्र, अन्न, धन अथवा तेल का दान करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। साथ ही, मंदिरों में दीप दान भी किया जा सकता है। इससे आपके परिवार में धन और समृद्धि आती है। 

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भानु सप्तमी पर सूर्यदेव की पूजा विधि

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। रथ सप्तमी को भानु सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहा जाता है। भानु सप्तमी के दिन भगवान भास्कर की पूजा करने से आरोग्य का वरदान मिलता है।

सूर्यदेव को रथ सप्तमी पर क्या चढ़ाएं

रथ-सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि अगर सूर्यदेव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ किया जाए तो व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य के साथ मान-सम्मान में भी वृद्धि हो सकती है।

स्कंद षष्ठी पर क्या भोग लगाएं

स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान शिव के बड़े पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

फरवरी में कब है स्कंद षष्ठी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत कथा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।

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