मौनी अमावस्या के दिन तुलसी को चढ़ाएं ये चीजें, मां लक्ष्मी प्रदान करेंगी धन दौलत
मौनी अमावस्या का दिन पूजा-पाठ, अनुष्ठान और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि मौनी अमावस्या पर किए गए उपायों से 100 वर्षों के दान के बराबर पुण्य मिलता है। इस साल 29 जनवरी 2025 दिन बुधवार को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया जाता है और अन्य देवी-देवताओं की तरह ही इसकी पूजा-अर्चना भी की जाती है। ऐसे में आप मौनी अमावस्या के दिन आप तुलसी से संबंधित कुछ उपाय कर कई तरह की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
मौनी अमावस्या को करें ये काम
मौनी अमावस्या के दिन पानी में थोड़ा-सा कच्चा दूध मिलाकर तुलसी में अर्पित करें। साथ ही तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और कलावा बांधें। ऐसा करने से तुलसी माता काफी प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखती हैं।
वैवाहिक जीवन में लाभ देखने के लिए शादीशुदा महिलाएं मौनी अमावस्या के दिन तुलसी जी को शृंगार की सामग्री अर्पित कर सकती हैं। इस उपाय को करने से विष्णु जी के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा आपको प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा इस दिन तुलसी जी की 07 बार परिक्रमा भी जरूर करें। ऐसा करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी।
आप अमावस्या तिथि पर एक पीले रंग के धागे या कलावे में 108 गांठ लगाकर तुलसी के गमले में बांध दें। इस उपाय को करने से साधक के घर-परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है। साथ ही व्यक्ति के लिए धन लाभ के भी योग बनते हैं।
तुलसी जी के मंत्र
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
पौराणिक मान्यता है कि देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग कर एक बार पुनः संसार के संचालन की कमान अपने हाथों में ले लेते हैं।
सनातन धर्म में सभी तिथि किसी ना किसी देवी-देवता को ही समर्पित है। इसी प्रकार से हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है।
“बोर भाजी आंवला, उठो देव सांवला।” ये कहावत तो हर किसी ने अपने घर में सुनी होगी। दरअसल, ये वही कहावत है जिसके द्वारा हर किसी के घर में देव उठनी ग्यारस के दिन भगवान का आह्वान होता है।
चातुर्मास यानी चौमासा में सारे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वहीं, आषाढ़ माह की आखिरी एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।