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मई माह में कब पड़ेगा पहला शुक्र प्रदोष व्रत

मई माह में कब पड़ेगा पहला शुक्र प्रदोष व्रत

Pradosh Vrat May 2025: मई महीने का पहला शुक्र प्रदोष कब पड़ेगा, जानें तिथि और मुहूर्त 


हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जब यह तिथि शुक्रवार के दिन आती है, तो इसे ‘शुक्र प्रदोष व्रत’ कहा जाता है, जो विशेष रूप से सुख-समृद्धि और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।


9 मई को बन रहा है शुभ संयोग 

इस साल मई महीना में 9 तारीख शुक्रवार के दिन शुभ संयोग बन रहा है। दृक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 9 मई को दोपहर 2:56 बजे होगा और यह 10 मई को शाम 5:29 बजे तक रहेगी। इसी कारण इस माह का शुक्र प्रदोष व्रत 9 मई को मनाया जाएगा। 


शाम 7 से 9 बजे प्रदोष काल में करें भगवान शिव की पूजा 

इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना प्रदोष काल में की जाती है, जो अत्यंत फलदायी मानी जाती है। प्रदोष काल वह समय होता है जब दिन और रात का संगम होता है, और इसे शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय कहा गया है। 9 मई को प्रदोष काल में पूजा का शुभ समय शाम 6:58 बजे से रात 9:08 बजे तक रहेगा। इस काल में शिवलिंग का अभिषेक, दीप प्रज्वलन, मंत्र जाप और शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।


शुक्र प्रदोष व्रत से मिलती है वैवाहिक जीवन में सुख और शांति 

शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है।


शुक्र प्रदोष व्रत पर करें विशेष मंत्रों का जाप 

  • ॐ नमः शिवाय
  • ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

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10 April 2025 Panchang (10 अप्रैल 2025 का पंचांग)

आज 10 अप्रैल 2025 चैत्र माह का पच्चीसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि त्रयोदशी है। आज गुरूवार का दिन है। इस तिथि पर वृद्धि योग रहेगा।

चैत्र नवरात्रि: मां कालरात्रि की कथा

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की साधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि अपने भक्तों के जीवन से अंधकार और अज्ञान को समाप्त करती हैं और उन्हें शक्ति प्रदान करती हैं।

चैत्र नवरात्रि आठवें दिन की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। देवी महागौरी को शक्ति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक कहा गया है। मां का नाम उनके रंग के आधार पर रखा गया है, जो अत्यंत ही शुभ और तेजस्वी हैं।

चैत्र नवरात्रि: मां महागौरी की कथा

चैत्र नवरात्रि की दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा-अर्चना, साधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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